मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
जन्मदिन के मौक़े पिता की याद में 😥
तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
उम्मीद कभी तू ऐसी मत करना
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नारी कहने को देवी है, मगर सम्मान कहाँ है,
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
I Am Always In Search Of The “Why”?
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*