Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2024 · 1 min read

कुछ असली कुछ नकली

अस्पतालों से ज्यादा बीमार बाहर हैं,
कुछ असली कुछ नकली।
जेलों से अधिक अपराधी बाहर हैं,
कुछ असली कुछ नकली।

परिवारों से अधिक बाप बाहर हैं,
कुछ असली कुछ नकली।
घरों से ज्यादा भाई बाहर हैं,
सब आवारा सब नकली।।

दफ्तरों से ज्यादा दफ्तरी बाहर हैं,
कुछ असली कुछ नकली।
पार्लियामेंट से ज्यादा नेता बाहर है,
कुछ असली कुछ नकली।

लोकतंत्र में समस्याओं से ज्यादा तंत्र है,
कुछ असली कुछ नकली।
एक ईश के लिए कई मंत्र है,
कुछ असली कुछ नकली।

असल की दुनिया में सब असल है,
कुछ असली कुछ नकली।
मनुष्य से बाहर भी एक मनुष्य है,
सब नकली सबकुछ नकली।।

Language: Hindi
1 Like · 131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
Shweta Soni
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
Vishal Prajapati
ख़ुद के प्रति कुछ कर्तव्य होने चाहिए
ख़ुद के प्रति कुछ कर्तव्य होने चाहिए
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बरकत का चूल्हा
बरकत का चूल्हा
Ritu Asooja
4575.*पूर्णिका*
4575.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
Ansh
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
राम राम जी
राम राम जी
Shutisha Rajput
फूल
फूल
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम म
भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम म
Shivam Sharma
ज़िन्दगी अपनी
ज़िन्दगी अपनी
Dr fauzia Naseem shad
काश
काश
Mamta Rani
उत्तम देह
उत्तम देह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गीत ( भाव -प्रसून )
गीत ( भाव -प्रसून )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मुफ़लिसों को मुस्कुराने दीजिए।
मुफ़लिसों को मुस्कुराने दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
लतखिंचुअन के पँजरी...
लतखिंचुअन के पँजरी...
आकाश महेशपुरी
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
कविता का शीर्षक है
कविता का शीर्षक है
Yamini Jha
मैं हूं ना
मैं हूं ना
Sunil Maheshwari
अरे...
अरे...
पूर्वार्थ
भुजंग प्रयात छंद
भुजंग प्रयात छंद
Rambali Mishra
तुझको लिखूं की मैं खुद को संवारू
तुझको लिखूं की मैं खुद को संवारू
Dhirendra Panchal
क्या करे जनाब वक़्त ही नहीं मिला
क्या करे जनाब वक़्त ही नहीं मिला
MEENU SHARMA
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
Lokesh Sharma
आइए चलें भीड़तंत्र से लोकतंत्र की ओर
आइए चलें भीड़तंत्र से लोकतंत्र की ओर
Nitin Kulkarni
इंतजार किया है कितना
इंतजार किया है कितना
C S Santoshi
मेरे प्रभु राम आए हैं
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अपना गम देख कर घबरा गए
अपना गम देख कर घबरा गए
Girija Arora
इस फिल्मी दुनिया के कीचड़ में ,
इस फिल्मी दुनिया के कीचड़ में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...