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14 Oct 2024 · 1 min read

प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो

प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
जग में समता का रँग घोल दो घोल दो
देश बाँटो नहीं जात में पात में
तुम ह्रदय के पटल खोल दो खोल दो
देखो मेरी मुहब्बत की तुम इंतिहा
सिर्फ़ दौलत से मत दिल मेरा तोल दो
सामने आने दो प्यार की असलियत
बीच में ही नहीं खोल तुम पोल दो
एकरसता से बचना अगर चाहते
अपने किरदार को तुम नया रोल दो
माना तुमको ज़रुरत नहीं है मेरी
फिर भी मेरी मुहब्बत को कुछ मोल दो
‘अर्चना’ जिनको सुर ताल आता नहीं
तुम अरे हाथ में उनके मत ढोल दो
डॉ अर्चना गुप्ता

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