वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
दिल पर ठेस लगती है तो आवाज नही होती।
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
काली नागन सी जुल्फें हवाओं में बिखरा के चली,
"प्यार की अनुभूति" (Experience of Love):
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं!
मरने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपयश ही पाते
मुकाम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देखो आसमान जमीन पर मिल रहा है,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
The darkness engulfed the night.