बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
मैं खोया हूँ मयखाने में...
याद का गहरा अँधेरा, वो समां भी ले गया ,
*विश्व ध्यान-दिवस (कुंडलिया)*
किसान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
मैं लिखूं अपनी विरह वेदना।
देशभक्ति का दर्शनशास्त्र (Philosophy of Patriotism)
“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
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*हों गया है प्यार जब से , होश में हम है नहीं*