Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2024 · 1 min read

प्री-डेथ

प्री-डेथ
शूटिंग
विदाउट
एनी कोस्ट।

🙅प्रणय प्रभात🙅

1 Like · 89 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

खुश रहें, सकारात्मक रहें, जीवन की उन्नति के लिए रचनात्मक रहे
खुश रहें, सकारात्मक रहें, जीवन की उन्नति के लिए रचनात्मक रहे
PRADYUMNA AROTHIYA
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हमारी नई दुनिया
हमारी नई दुनिया
Bindesh kumar jha
मिला जो है वही स्वीकार्य है,
मिला जो है वही स्वीकार्य है,
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
मनुष्य आदतों और मन का गुलाम है।
मनुष्य आदतों और मन का गुलाम है।
Rj Anand Prajapati
घुंघट ओढ़ा हमने लाज़ बचाने के लिए
घुंघट ओढ़ा हमने लाज़ बचाने के लिए
Keshav kishor Kumar
माना कि तकरार और मोहब्त,
माना कि तकरार और मोहब्त,
श्याम सांवरा
/-- आप भी मुस्कुराइए --/
/-- आप भी मुस्कुराइए --/
Chunnu Lal Gupta
"ये तन किराये का घर"
Dr. Kishan tandon kranti
prAstya...💐
prAstya...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चिंगारी
चिंगारी
Jai Prakash Srivastav
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
सत्य कुमार प्रेमी
"तुम कब तक मुझे चाहोगे"
Ajit Kumar "Karn"
मैं पत्थर की मूरत में  भगवान देखता हूँ ।
मैं पत्थर की मूरत में भगवान देखता हूँ ।
अश्विनी (विप्र)
एक अनार, सौ बीमार
एक अनार, सौ बीमार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैं  बदलना  अगर  नहीं  चाहूँ
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
Dr fauzia Naseem shad
गीत तनहा ही गा लिये हमने
गीत तनहा ही गा लिये हमने
पंकज परिंदा
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Bodhisatva kastooriya
शर्मशार इंसानियत और मणिपुर
शर्मशार इंसानियत और मणिपुर
Akash RC Sharma
आकांक्षाएं और नियति
आकांक्षाएं और नियति
Manisha Manjari
HAPPINESS!
HAPPINESS!
R. H. SRIDEVI
..
..
*प्रणय प्रभात*
* आख़िर भय क्यों ? *
* आख़िर भय क्यों ? *
भूरचन्द जयपाल
धन की अधिकता से.. जीवन आसान ज़रूर बनता है। पर अकसर लोग
धन की अधिकता से.. जीवन आसान ज़रूर बनता है। पर अकसर लोग "आसान
पूर्वार्थ
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* खूब खिलती है *
* खूब खिलती है *
surenderpal vaidya
राम-वन्दना
राम-वन्दना
विजय कुमार नामदेव
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
*आजादी हमसे छीनी यदि, तो यम से भी टकराऍंगे (राधेश्यामी छंद )
*आजादी हमसे छीनी यदि, तो यम से भी टकराऍंगे (राधेश्यामी छंद )
Ravi Prakash
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...