Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2024 · 1 min read

“अपनी भूल नहीं मानते हम ll

“अपनी भूल नहीं मानते हम ll
अपने उसूल नहीं जानते हम ll

हर पौधे की अलग और सुंदर होती हैं पत्तियां,
फिर भी उन पत्तियों को फूल नहीं मानते हम ll

जीवन के रहमोकरम पर रहते हुए भी,
जीवन को अनुकूल नहीं मानते हम ll

यह जानते हुए कि सब मिट्टी में मिल जाएगा,
धन, दौलत, शौहरत को धूल नहीं मानते हम

नफरतों में वक्त जाया कर रहे हैं,
नफरतों की फिजूल नहीं मानते हम ll”

227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
बाल कविता
बाल कविता
Raj kumar
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
गरीबी एक रोग
गरीबी एक रोग
Sunny kumar kabira
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मुझे पढ़ना है, तो क़िताब पढ़ना सीख लो तुम
मुझे पढ़ना है, तो क़िताब पढ़ना सीख लो तुम
करन ''केसरा''
पैसे की क़ीमत.
पैसे की क़ीमत.
Piyush Goel
है पुण्य पर्व 'पराक्रम दिवस' का आज!
है पुण्य पर्व 'पराक्रम दिवस' का आज!
Bodhisatva kastooriya
मन भारी है
मन भारी है
Ruchika Rai
कोरोना
कोरोना
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
पानी बरसे मेघ से
पानी बरसे मेघ से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
..
..
*प्रणय प्रभात*
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
Anis Shah
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
आदमी
आदमी
अखिलेश 'अखिल'
"राजनीति में जोश, जुबाँ, ज़मीर, जज्बे और जज्बात सब बदल जाते ह
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
Dr Archana Gupta
संदेश
संदेश
लक्ष्मी सिंह
कत्ल कर जब वो कातिल गया
कत्ल कर जब वो कातिल गया
सुशील भारती
"किनारे से"
Dr. Kishan tandon kranti
मोही  हृदय  अस्थिर,  व्यथित
मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
Priya Maithil
राजनीतिक योग
राजनीतिक योग
Suryakant Dwivedi
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
Phool gufran
अब फिक्रमंद नहीं हूँ मैं
अब फिक्रमंद नहीं हूँ मैं
हिमांशु Kulshrestha
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
Dr fauzia Naseem shad
इन हवाओं को महफूज़ रखना, यूं नाराज़ रहती है,
इन हवाओं को महफूज़ रखना, यूं नाराज़ रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
पूर्वार्थ
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
Rj Anand Prajapati
अंगराज कर्ण
अंगराज कर्ण
श्रीहर्ष आचार्य
Loading...