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10 Oct 2024 · 1 min read

बिटिया मेरी सोन चिरैया…!

◆ मधुशाला छन्द (रुबाई) ◆

आँगन की वह वृंदा मेरी
या लगती कुंदन सोना

रश्मि चंद्रमा सी वह दमकत
है अद्भुत रूप सलौना

स्वर घोलत मकरंद श्रवण में
वो लगती न्यारी न्यारी

बिटिया मेरी सोन चिरैया
नित फुदकत कोना कोना।

पंकज शर्मा “परिंदा”🕊

Language: Hindi
1 Like · 151 Views
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