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8 Oct 2024 · 3 min read

नवरात्रि में ध्यान का महत्व। - रविकेश झा

नवरात्रि में ध्यान का बहुत बड़ा अर्थ छुपा हुआ है अध्यात्मिक दृष्टि में भी यह महत्वपूर्ण है और सांसारिक दृष्टि से भी अधिक महत्वपूर्ण स्थान है।

हम नवरात्रि में विशेष भक्ति की ओर बढ़ते हैं और मैया का पूजा अर्चना करने ने स्वयं को व्यस्त रखते हैं। हम भय क्रोध से दूर रहे यश हो धन हो कीर्ति हो, ये सांसारिक दृष्टि से ऐसा दिखता है, मनोकामना भी पूर्ण होता है हम पूजा करते हैं ताकि देवी मां प्रसन्न हो और सब जगह मां का मूर्ति का पूजा होता है सभी भाग लेते हैं खिलते हैं दस दिन, घूमते हैं और कामना यही रहता है कि खुशी मिले आशीर्वाद मिलता रहे मां प्रसन्न रहे और सब जगह शांति हो।,

ये सब हमारा कामना रहता है मैया पूर्ण भी करती है लेकिन हमें आंतरिक खुशी नहीं मिलती है हम दस दिन के बाद मुर्झा जाते हैं और चहकना बंद हो जाता है। हम प्रतिदिन फिर वही दौर भाग चिल्लाना चीखना क्रोध लोभ यही सब आ जाता है हमें थोड़ा जागरूक होना चाहिए ताकि हम प्रतिदिन खिल सके, मात्रा दस दिन ही नहीं पूरे वर्ष हर पल खुश रहे। ये सब बात थोड़ा अजीब लग रहा होगा आपको, क्योंकि आज तक आप ऐसा करते नहीं आए है। और आज थोड़ा अजीब तो लगेगा ही और निरंतर जागरूक होते हुए आप स्वयं जान लोगे की कैसे आनंद हुआ जाए ये दस दिन और आगे भी।

इसके लिए हमें थोड़ा ध्यान की ओर बढ़ना होगा।
नवरात्रि में ध्यान का अर्थ विशेष होता है। नवरात्रि हिंदू धर्म में एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो मां देवी दुर्गा की पूजा आराधना के लिए मनाया जाता है लेकिन इसी पल हम ध्यान के रास्ते मैया को जान सकते हैं देख सकते हैं और आनंद हो सकते है। इसमें हम ध्यान से आत्म-शुद्धि: और आत्म जागरूकता प्राप्त कर सकते हैं ताकि हम स्वयं को स्थिर कर सकते हैं। देवी मां की आराधना और उनकी शक्ति को अपने जीवन में आकर्षित कर सकते हैं और प्रसन्न हो सकते है।

ध्यान से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना और नकारात्मक ऊर्जा को जानना और स्वयं अंदर रूपांतरण करना नहीं की दूर करना इसको जानना होगा, लड़ना नहीं है बस देखना है जागरूकता से तभी आप दोनों ऊर्जा के परे जा सकते हैं। ध्यान से आत्म-विश्वास और आत्म मूल्यांकन की प्राप्ति कर सकते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि भी देना होगा हमारे जीवन को एक दिशा देना होगा, अभी हम बस जी रहे हैं और दस दिन बस जिएंगे फिर बेहोश हो जायेंगे।

नवरात्रि में ध्यान के लिए कुछ सुझाव:
1. प्रात: काल में ध्यान करें।
2. देवी मां की पूजा पाठ जप में जागरूकता लाने का प्रयास करें।
3. अपने आप को शांत और एकाग्र रखें ध्यान के ओर बढ़ते रहे। जागरूकता आपको लाना होगा।
4. ध्यान के दौरान अपनें शरीर विचार और भावना को देखना शुरू करें नियंत्रित अपने आप हो जायेगा।
5. ध्यान के बाद अपने दिन की शुरुआत करें, आप धीरे धीरे स्वयं जान लोगे की सही क्या है गलत क्या है और दोनों के परे क्या है।
आप दुर्गा मां का पूजा अर्चना के समय जागरूकता रखें। आनंद स्वयं आप हो जायेंगे।

धन्यवाद। 🙏❤️
रविकेश झा ।

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