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4 Oct 2024 · 1 min read

यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो

यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
यदि अपनी चिंता है तो अपनों को स्वीकार लो
कर्मों से मुक्ति संभव नहीं है आलस्य को त्याग दो
पहचान अपने व्यक्तित्व को समय पर स्वीकार लो
_ सोनम पुनीत दुबे

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