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10 Oct 2024 · 1 min read

रतन टाटा

रतन टाटा

अट्ठाइस बारह सन सैंतीस,
मुम्बई में उपजा एक अंकुर।
उद्योग जगत यूं फैला,
ज्यों पाकड़ या बरगद बढ़कर।

प्रतीक समृद्धी उन्नति का,
प्रतीक स्वार्थ परमारथ का।
दैदीप्यमान मणि के समान,
था ‘रतन’ हमारे भारत का।

दुर्बल का मसीहा था टाटा,
पहचान जगत भर में जिनकी।
भारत के मेरुदण्डवत वे,
कर्मठ योगी छवि थी उनकी।

संकल्प लगन श्रम के कारण,
जन जन का मन था हुआ फिदा।
सन चौबीस नौ अक्टूबर को,
‘टाटा’ टाटा कह हुआ विदा।

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