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29 Sep 2024 · 1 min read

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल...

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

जे छल मिथिला के अगुआ नेता,
ओ तऽ साजिशक शिकार भेल।
बाकी सभटा पिछलग्गू नेता,
नाँगरि दबाकऽ घुमैय लेल…

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

ललित बाबू क’अहां याद करु ने,
मिथिला क ओ प्राण छलैथ।
हुनक काज आ कर्मठता में,
टाल-मटोल कहियौ नञ भेल…

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

रहिता ओ यदि जीवित एखनधरि,
करिता सभकिछु अवाम क’ लेल।
कोशी-कमला शोक नञ देतनि,
गिरहथ क’ रहतैय धन-धान्य अलेल।

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

मुरुख लोक भेल आजु के नेता,
पढ़ल लिखल पए चमचागिरी केल।
ग्रीवा में लटकौने गमछा एकटा,
जाति-धरम के करैत अछि खेल।

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

उठू जन मिथिला जागू दौड़ू ,
सहन आबि नञ होइया गेल।
टुकूरटुकूर तकैत अइ जनता,
विकसित राज्य मिथिला के लेल…

मिथिला कियेऽ बदहाल भेल…

मौलिक एवम स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २ ९/०९/२०२४ ,
आश्विन कृष्ण पक्ष,द्वादशी ,रविवार
विक्रम संवत २०८१
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com

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