Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Sep 2024 · 1 min read

टुकड़े हजार किए

#दिनांक:-26/9/2024
#सजल
#शीर्षक:-टुकड़े हजार किए।

रास्ता भटक करके, बुरा व्यवहार किए,
विमुख अपनों से, बारंबार वार किए ।।1।

जीवन जीकर, डरें मरने की सोच से,
खून विश्वास का, डाकू संहार किए ।।2।

समय का इशारा, समय पर समझे नहीं,
गुजरे वक्त पर, नाहक ऐतबार किए ।।3।

जब-जब मैंने देखा, पीछे को मुड़कर,
स्वयं की दुनिया के, टुकड़े हजार किए ।।4।

तेरे भवन में, अपनी सूरत देखते,
रुऑसे नयनों ने दिल, जार-जार किए ।।5।

साधना राग की, प्रेम से मिली मुझको।
समय देख रिश्तों पर, रिश्ते वार दिए ।।6।

खुशहाल समाज, बदलाव स्वीकार नहीं,
उल्लास भरा ये जीवन, गम सार किए ।।7।

भटकते यायावर, रहे रोटी खातिर,
हालाते गर्दिशी में, उम्र पार किए ।।8।

पहनी अब पछतावा, क्यूँ अवगुन गिनती,
नाकामी हरदम, खुद को दो-चार किए ।।9।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Loading...