नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
मैंने रात को जागकर देखा है
जिंदगी में जितने महत्व पूर्ण है
दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
वर्तमान परिदृश्य में विचारधारा भी एक बिजनेस बनकर रह गया है ।