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23 Sep 2024 · 1 min read

बेटे की माॅं

बेटे की माॅं

मैं एक माॅं होकर
माॅं को समझाती हूॅं
बुढ़ापे में जीने के
राज बताती हूॅं।

दुखी मत होया कर माॅं
सब की बातों को सुनकर
भी मुस्कुराया कर माॅं ।

जिनको पाल-पोस कर
बड़ा किया तूने !
उनसे तू क्यों घबराती है
उनके चेहरे को देखकर
ही तो तू भी सुख पाती है।

तू बातें ग़म की मुझसे
सांझा कर लिया कर
क्यों उनसे आस लगती है।

तेरे पास तो है बेटी
जो सुख-दुख तेरा बांट लेती है।
उनका भाग्य देख क्या होगा!
जो सिर्फ बेटों की माॅं
कहलाती है।

हरमिंन्दर कौर,
अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

2 Likes · 130 Views
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