दोहे -लालची
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
यूँ ही राह तकता रहता हूं किसी राहगुज़र की,
मुहब्बत है साहब तिजारत नहीं है
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
मालवीय जी अटल बिहारी हैं भारत की शान(गीत)
थोड़ी फुरसत भी शुकून नहीं मिलता
सभी कहते हैं इश्क़ एक बीमारी है...