Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2024 · 5 min read

#मानवता का गिरता स्तर

#नमन मंच
#विषय मानवता का गिरता स्तर
#शीर्षक सफलता है क्या
#सारांश संघर्षशील जीवन
#दिनांक २०/०८/२०२४
विद्या लेख
पोस्ट क्रमांक 1

‘राधे राधे भाई बहनों’

हर रोज की तरह आज फिर एक नए विषय को लेकर चिंतन करते हैं,
आज के चिंतन का विषय है मानवता का गिरता स्तर !

आजकल लोगों की एक धारणा बन चुकी है किसी भी प्रकार येन केन प्रकरण यह जीवन सफल हो जाए !
न पाप पुण्य की परवाह न धर्म अधर्म की परवाह
न सभ्यता और संस्कृति की परवाह,
बस किसी तरह यह जीवन सुरक्षित हो जाए
सफल हो जाए !
यही एक कामना रहती हर इंसान की !
क्या सही है और क्या गलत इस से कोई मतलब नहीं !
बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया
बस किसी भी प्रकार पैसा आना चाहिए फिर चाहे कुछ भी सजा भोगनी पड़े वह भोग लेंगे !

पता है आज की शिक्षा भी ऐसी ही हो गई है,
जिसमें सिर्फ बच्चों को किस प्रकार से जीवन में सफल होना है कैसे पैसा कमाया जाता हैं,
किस प्रकार इस जीवन को बेहतर बनाएं,
कैसे अपना नाम रोशन करें !

बच्चों को एक दूसरे से प्रेम के साथ जीवन जीने की शिक्षा भारतीय संस्कृति दर्शन की शिक्षा पारिवारिक प्रेम और मिलन की शिक्षा
मिलजुल एक दूसरे का सहयोग करते हुए जीवन को आगे बढ़ाने की शिक्षा,
राष्ट्रहित को सर्वोच्च स्थान देते हुए देश प्रेम की शिक्षा,
यह सब गुण अब शिक्षा से लुप्त हो गए हैं !

जिसमें कुछ प्राइवेट स्कूल और कॉलेज तो मात्र बच्चों को पैसे कमाने की एक मशीन बना रहे हैं !

कुछ स्कूल और कॉलेज ऐसे भी है जहां पर विदेशी संस्कृति को ही महत्व दिया जाता है, भारतीय संस्कृति का वहां पर नामोनिशान भी नहीं !

यही वजह है कि आज हमारे बच्चे विपरीत दिशा की ओर जा रहे हैं,
आज देश की युवा पीढ़ी सिर्फ अपने आप में सीमित हो गई है !

उनके लिए फर्स्ट प्राइटी हो गई मैं और सिर्फ में !

अपने बारे में सोचने का सबको अधिकार है,
और अपने लिए कुछ करने का भी अधिकार है,
लेकिन उसके लिए नैतिक मूल्यों का हनन नहीं होना चाहिए !
जो कि इस देश के भविष्य के लिए एक खतरा है !

अब बात करते हैं देश के बुद्धिजीवी इंसानों की और धार्मिक गुरुओं की !

आज देश के बुद्धिजीवी इंसान और धार्मिक गुरु भी संकीर्ण सोच के हो गए हैं !
वह भी अभी अपनी सभाओं में अपने फॉलोअर्स को
इस जीवन में सफलता की ही बात करते हैं
कैसे पैसा कमाए किस प्रकार से इस जीवन को आगे बढ़ाएं !

मुझे लगता है कि हमारा समाज और हमारे देश के बुद्धिजीवी इंसान या धार्मिक गुरु मूल मकसद से भटक गए हैं !

हो सकता है यहां मैं गलत हो सकता हूं,
____________________________

‘इस लेख का मूल सारांश’

मेरी सोच के आधार पर,

अब यही से इस लेख की शुरुआत होती है
जिसका नाम है सफलता है क्या !

क्यों इस जीवन को सुरक्षित और सफल बनाने की जरूरत पड़ रही !
बस चले जा रहे एक अंधी दौड़ में भाग ले रहे हैं,
जिसकी मंजिल कहां किसी को पता नहीं
चल क्यों रहे किसी को पता नहीं
पहुंचना कहां किसी को पता नहीं !

बस मुझे आगे बढ़ना है पैसा कमाना है
इस जीवन को सुरक्षित और सफल बनाना है !

मैं हूं कौन कहां से आया हूं किस लिए आया हूं !
मुझे यहां किसने भेजा और अब मुझे कहां जाना है जिंदगी इतनी छोटी क्यों है,
इस जीवन के आगे क्या है,
जिन लोगों ने आगे सफलता पाई उनका क्या हुआ और जिन लोगों ने आगे सफलता नहीं पाई है उनका क्या हुआ !

इन प्रश्नों के उत्तर इंसान को ढूंढने चाहिए !

जिसके बारे में हमें कोई समझा नहीं रहा बता नहीं रहा !

बुद्धिजीवी इंसान और धर्मगुरु भी इस राज को नहीं समझा पा रहे या समझाना नहीं चाहते !

अब बात करते हैं उन लोगों की जिन्होंने आज के 5000 वर्ष पूर्व अपने जीवन को सफल बना कर गए !

शायद ऐसे लोगों को हम इतिहास के पन्नों पर देखेंगे तो हमें उनका कहीं पर भी नाम नहीं मिलेगा !
धन ऐश्वर्य और सफलता के लिए जिन्होंने भी अपना जीवन जिया उनका आज कहीं पर भी इतिहास में नाम नहीं है !

कितने ही धनवान और राजा आए और गए उनका इतिहास में नाम आया लेकिन कुछ समय के बाद उनका नाम मिटता गया !
दूसरी से तीसरी पीढ़ी के बाद उनका नाम लोग भूल जाते हैं !

इसका मतलब साफ है कि वर्तमान को उन लोगों के बारे में जानने की कोई रुचि नहीं है !

अब इस मूल सिद्धांत के बारे में बात करते हैं जिसके लिए मैं यह लेख लिख रहा हूं !

” संघर्षरत जीवन ”

अब बात करते हैं उन लोगों की जिन्होंने आज के 5000 वर्ष पूर्व अपने जीवन को (संघर्षपूर्ण ) संघर्षरत रहते हुए जीवन जिया !

आज मैं आपसे पूछूं ऐसे लोगों के बारे में जिन्होंने अपने पूरे जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए इस प्रकृति के लिए या इस देश के लिए जीवन जिया सिर्फ मानव समाज की भलाई के लिए जीवन जिया,
क्या आप ऐसे लोगों को जानते हैं,
शायद आप कहेंगे = हां

इतिहास और धार्मिक ग्रंथ भरे पड़े हैं
ऐसे महापुरुषों के जिन्होंने अपने अपना पूरा जीवन मानव जीवन की भलाई के लिए लगा दिया प्रकृति की रक्षा के लिए लगा दिया !

जिसने निज स्वार्थ से ऊपर उठकर देश प्रेम और देशभक्ति को सर्वोपरि माना ऐसे महापुरुषों का आज हम नाम भी सुनते और उनके आदर्शों पर चलने की कोशिश भी करते हैं !

इस वर्णन के माध्यम से यह साफ हो गया है कि जिन लोगों ने अपने आप को सफल और सुरक्षित बना कर खुद के लिए जीवन जिया उनका कोई इतिहास नहीं है !

और जिन लोगों ने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए लगाया और सारी जिंदगी कठिनाइयों में रहकर संघर्षपूर्ण जीवन जिया प्रकृति की रक्षा के लिए जीवन जिया
उनका हम इतिहास में नाम सुनते हैं और पढ़ते भी हैं ,
और आज भी हम उनके सिद्धांतों पर चलने की कोशिश करते हैं !

इसका मतलब साफ है कि सफलता का हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं है !

सफलता हमारे जीवन को सुरक्षित तो बनाती है लेकिन इसका हमारे संसार में आने का उद्देश्य पूरा नहीं होता !

संघर्षरत जीवन थोड़ा कष्टप्रद लगता है
लेकिन इसी से जीवन सार्थक माना जाता है
संसार में आने का उद्देश्य भी पूरा होता है !
इसीलिए मैं शिक्षा नीति में बदलाव के पक्ष में हूं !

हमारे देश की शिक्षा को सफल होने के लिए नहीं बल्कि संघर्ष पूर्ण जीवन जीने की कला सिखाने के पक्ष में हूं !

अगर शिक्षा नीति में बदलाव किया जाए तो शायद हो सकता है लोग फिर से अपने भारतीय संस्कृति को समझने में सफल होंगे और यह भ्रष्टाचार और अत्याचार थोड़ा कम हो सकता है !

दोस्तों हमारे देश का तो इतिहास रहा है !
हमारे देश के साधु संत सन्यासी ऋषि मुनि तपस्वी और हमारे देश के बुद्धिजीवी युवा शहीद नेता !
इन सब ने अपने जीवन में संघर्ष किया है ,

जीवन में सफलता पाने के लिए नहीं बल्कि इस जीवन का सदुपयोग करने के लिए अपने जीवन को सार्थक करने के लिए संघर्ष किया है मानव कल्याण के हित की भावना के लिए संघर्ष किया है !

इसीलिए आज हम उनके बारे में जानते हैं और इतिहास उन महापुरुषों के गुणगान से भरा पड़ा है !

अत: फिर मैं उसी प्रश्न पर आता हूं !

सफल होने के लिए जीवन नहीं जिए
सफलता सिर्फ आप को सुरक्षित कर सकती है इससे ज्यादा कुछ नहीं !
संघर्षरत जीवन जिए यही जीवन की सार्थकता है !

यह मेरी निजी विचार है
इन विचारों से हो सकता है आप संतुष्ट नहीं हो उसके लिए मुझे क्षमा करना

क्षमा प्रार्थी
राधेश्याम खटीक

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जब साँसों का देह से,
जब साँसों का देह से,
sushil sarna
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
Dr. Man Mohan Krishna
गंगा अवतरण
गंगा अवतरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विषय - श्री विश्वकर्मा जयंती उत्सव
विषय - श्री विश्वकर्मा जयंती उत्सव
Harminder Kaur
कृष्ण अर्जुन संवाद
कृष्ण अर्जुन संवाद
Dheerendra Panchal
मोहब्बत जब होगी
मोहब्बत जब होगी
Surinder blackpen
आंदोलन की जरूरत क्यों है
आंदोलन की जरूरत क्यों है
नेताम आर सी
नित्य रहो़ं रत साधना, त्याग सभी संताप।
नित्य रहो़ं रत साधना, त्याग सभी संताप।
संजय निराला
#रिश्ते #
#रिश्ते #
rubichetanshukla 781
हम ज़ात पात के नाम पर खुद को टुकड़ों में बाँट रहे ,
हम ज़ात पात के नाम पर खुद को टुकड़ों में बाँट रहे ,
raijyoti47.
आसमां में खिलीं है किरन देखिए
आसमां में खिलीं है किरन देखिए
नूरफातिमा खातून नूरी
अश्क छलके तो तौहीन होगी मोहब्बत की।
अश्क छलके तो तौहीन होगी मोहब्बत की।
श्याम सांवरा
*मन के रंग * एक नई कविता हिंदी
*मन के रंग * एक नई कविता हिंदी
JITESH BHARTI CG
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
जीने नहीं देती दुनिया,
जीने नहीं देती दुनिया,
पूर्वार्थ
"आदमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,
तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3662.💐 *पूर्णिका* 💐
3662.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लोग कहते है तुम मोहब्बत में हारे हुवे , वो लोग हो !
लोग कहते है तुम मोहब्बत में हारे हुवे , वो लोग हो !
Surya Barman
हम मुकद्दर से
हम मुकद्दर से
Dr fauzia Naseem shad
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
#आज_का_शेर-
#आज_का_शेर-
*प्रणय प्रभात*
फिर से आयेंगे
फिर से आयेंगे
प्रेमदास वसु सुरेखा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
Nonveg-Love
Nonveg-Love
Ravi Betulwala
*Broken Chords*
*Broken Chords*
Poonam Matia
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
चिड़ियों की चहक
चिड़ियों की चहक
Santosh kumar Miri
Loading...