Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2024 · 2 min read

फर्क पड़ता है!!

अक्सर कहते हैं लोग,
किसी के विरुद्ध हो रहे ,
व्यवहार पर,
हमें क्या फर्क पड़ता है!
सामान्य तौर पर,
नही करते प्रतिकार,
हो रहे उस दुर्व्यवहार पर,
जबकि पीड़ित अपेक्षा,
रहता है कर,
लेकिन जिससे अपेक्षा थी,
वह अनमने मन से आगे जाता है बढ,
और व्यक्त करता है अपने विचार,
हमें क्या फर्क पड़ता है।
बात आई गई हो जाया करती है,
परन्तु कुछ लोगो को रह जाति है टिस,
अगर हमने किया होता हस्तक्षेप,
तो हो सकता था घटना का पटाक्षेप,
किन्तु वह व्यक्ति जो था समर्थ,
समस्या के समाधान के लिए,
उसकी दिलचस्पी नही थी समाधान में,
तब पनपता है अवसाद,
लगता है पक्षपात,
भेद भाव,
और शोषण कि अनुभूति,
महसूस करते हैं लोग,
पिडा कि अभिव्यक्ति,
उन्मादी लगता है,उनका कार्य व्यवहार,
ऐसे में एक दिन,
जब वो भी होते हैं इसका शिकार,
तब होता है उन्हें पिडा का अहसास,
तो चाहता हैं वो,
कोई उसके सहायता को आगे बढे,
लेकिन कोई आता नहीं सामने,
तब उसे दिखाई देता है,
अपना ही चेहरा आईने में,
उसने कब निभाए हैं,
अपने दायित्व सिद्दत से,
पर खिसियाते हुए देता है उपदेश,
कैसे सुधरेगा देश,
क्या जा रहा संदेश,
यदि ऐसे ही निर्विकार बने रहे,
तो सहना पडेगा सभी को,
यह तौर तरीका,तब
लगता है उसका तर्क,
अजीबोगरीब,
आखिर जब हम किसी के,
दुख सुख में शामिल होने से,
करने लगते हैं परहेज,
तो ऐसा होता रहता है,
समय कब किसी को वख्स्ता है,
जलति हुई लकड़ी सिर्फ स्वयं नहीं जलति
अपितु दूसरों को भी जलाती है,
बस बारि आने पर,
यह अहसास कराति है,
इसलिए,
जब भी कोई पिडित कि उपेक्षा करे,
तो समझ लेना,
इसका यह नजरिया,
एक दिन उसे भी,
इस दौर से गुजरने का एहसास कराएगा,
और उसका यह सोचना,
मुझे क्या फर्क पड़ता है,
काफी महंगा पड़ जाएगा ,
क्योंकि कोई उसके साथ भी,
खड़ा नहीं दिखाई देगा,
शायद उसे तब ही
महसूस होगा की,
फर्क पड़ता है !!
फर्क तो पड़ता है जनाब।
समय पर आता है याद!!

197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all

You may also like these posts

कर्त्तव्य के विरुद्ध हो
कर्त्तव्य के विरुद्ध हो
Er.Navaneet R Shandily
मुस्कानों की बागानों में
मुस्कानों की बागानों में
sushil sarna
कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया
कश्ती तो वही है तो क्या दरिया बदल गया
Kanchan Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Pritam shrawastawi
ईश्क में यार ये जुदाई है
ईश्क में यार ये जुदाई है
सुशील भारती
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
Anil Kumar Mishra
उन्मुक्त प्रीति
उन्मुक्त प्रीति
Neelam Sharma
कोयल
कोयल
Madhuri mahakash
हम ऐसे भी बुरे नहीं
हम ऐसे भी बुरे नहीं
Jyoti Roshni
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
बदले नजरिया समाज का
बदले नजरिया समाज का
Dr. Kishan tandon kranti
पिता का साथ
पिता का साथ
Seema gupta,Alwar
मत्तगयंत सवैया (हास्य रस)
मत्तगयंत सवैया (हास्य रस)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
चली आना
चली आना
Shekhar Chandra Mitra
विषय-जिंदगी।
विषय-जिंदगी।
Priya princess panwar
TK88 - Trang Chủ Nhà Cái TK88 COM Mới Nhất T12/2024
TK88 - Trang Chủ Nhà Cái TK88 COM Mới Nhất T12/2024
Nhà Cái TK88
करम के नांगर  ला भूत जोतय ।
करम के नांगर ला भूत जोतय ।
Lakhan Yadav
लावणी छंद
लावणी छंद
Mahesh Jain 'Jyoti'
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
तेवरी में ‘शेडो फाइटिंग’ नहीं + योगेन्द्र शर्मा
तेवरी में ‘शेडो फाइटिंग’ नहीं + योगेन्द्र शर्मा
कवि रमेशराज
डरना क्या है?
डरना क्या है?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
4477.*पूर्णिका*
4477.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आशियाना
आशियाना
Uttirna Dhar
गाँधी जयंती
गाँधी जयंती
Surya Barman
“It’s all in your head, your heart just pumps blood.”
“It’s all in your head, your heart just pumps blood.”
पूर्वार्थ
धवल दीक्षित (मुक्तक)
धवल दीक्षित (मुक्तक)
Ravi Prakash
खिला है
खिला है
surenderpal vaidya
प्रबुद्ध लोग -
प्रबुद्ध लोग -
Raju Gajbhiye
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
*प्रणय प्रभात*
ऊ बा कहाँ दिलदार
ऊ बा कहाँ दिलदार
आकाश महेशपुरी
Loading...