बलिदानी गोविन्द सिंह की कहानी
जिन्दगी एक अनकही दास्तान '
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
*भारतीय शेरनी विनेश फ़ौगाट*
थूकोगे यदि देख कर, ऊपर तुम श्रीमान
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
विधानन्द सिंह'' श्रीहर्ष''
Ranjeet Kumar Shukla - Hajipur
अकेलेपन से सीखा है.... मग़र ये बात सच है।
जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
करम के नांगर ला भूत जोतय ।
कभी-कभी इंसान थोड़ा मख़मूर हो जाता है!
हमने अपना रास्ता अब मोड़ दिया है