*मुट्ठियाँ बाँधे जो आया,और खाली जाएगा (हिंदी गजल)* ____________
#माँ गंगा से . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
चेहरे पर लिए तेज निकला है मेरा यार
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
Green India Healthy India
हिन्दी भारत का उजियारा है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी