Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 1 min read

जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्

जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्टी झुकती है तब ही पानी लेकर आती है ll

181 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

वापिस बुलाना नहीं आता तो ब्रह्मास्त्र छोड़ना जरूरी है…
वापिस बुलाना नहीं आता तो ब्रह्मास्त्र छोड़ना जरूरी है…
सुशील कुमार 'नवीन'
कविता
कविता
MEENU SHARMA
कश्ती का सफर
कश्ती का सफर
Chitra Bisht
तेरा नाम
तेरा नाम
sheema anmol
पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
sushil sarna
मु
मु
*प्रणय प्रभात*
विश्ववन्दनीय- गुरु घासीदास
विश्ववन्दनीय- गुरु घासीदास
Dr. Kishan tandon kranti
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
surenderpal vaidya
तुम मुझे गुनगुनाओ तो सही, अपना कह कर प्यार जताओ तो सही साथ र
तुम मुझे गुनगुनाओ तो सही, अपना कह कर प्यार जताओ तो सही साथ र
पूर्वार्थ देव
बंदिशें इस क़दर रहीं दिल की
बंदिशें इस क़दर रहीं दिल की
Dr fauzia Naseem shad
People in your life should be a source of reducing stress, n
People in your life should be a source of reducing stress, n
पूर्वार्थ
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
Shreedhar
तुम से ज़ुदा हुए
तुम से ज़ुदा हुए
हिमांशु Kulshrestha
भावना के कद्र नइखे
भावना के कद्र नइखे
आकाश महेशपुरी
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
कृष्णकांत गुर्जर
फिर तुम्हारी याद
फिर तुम्हारी याद
Akash Agam
तुम कहो या न कहो
तुम कहो या न कहो
दीपक झा रुद्रा
मज़हबी आग
मज़हबी आग
Dr. Kishan Karigar
ए चांद कुछ तो विषेश है तुझमें
ए चांद कुछ तो विषेश है तुझमें
Ritu Asooja
मां जो है तो है जग सारा
मां जो है तो है जग सारा
Jatashankar Prajapati
संतान को संस्कार देना,
संतान को संस्कार देना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
श्याम सांवरा
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
आशियां
आशियां
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सुबह शाम अफ्रेश पियो
सुबह शाम अफ्रेश पियो
Yamini Jha
शीर्षक - अपने स्वार्थ
शीर्षक - अपने स्वार्थ
Neeraj Kumar Agarwal
Loading...