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13 Sep 2024 · 2 min read

कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है

कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है ,उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता सामने वाला साथ रहे ना रहे
वो बस ग़लतिया तलाशेगे आपकी और आपको छोड़ के जाने के बहाने उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा आपके emotional_damage का उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा आपके स्वाभिमान के बिखर जाने का वो बस ढूँढते रहते होगा की कैसे हम इसको ग़लत साबित करे और निकले इस रिश्ते से पीछा छूटे उनका आपसे वो इस बात की भी कोई फ़िक्र नहीं करेगे की आप उस वक्त बुरी परिस्थितीयो में है आपको शायद उनके साथ कि ज़रूरत हो
आप का आज दिन है शायद आप उनके साथ अपनी ख़ुशिया बाटना चाहते हो ,उन्हें बस आपकी कमियाँ तलाशनी होगी
और ख़ुद को जस्टिफाई करना होगा की हा भई मैं इस रिश्ते से सही बन के निकला यहाँ मेरी कोई गलती नहीं थी मैं सही था बस बात ख़त्म भले वो भीतर के मन से जानते हो की ग़लतिया उनकी हो लेकिन उन्हें ख़ुद को जस्टिफाई भी करना होगा
मैं बस इतना चाहता हूँ आपको जाना है तो बेशक जाइए जाने वाले को लाख कोशिश के बाद भी कोई नहीं रोक पाया है उल्टा बस अपना स्वाभिमान गवाया है
बस जाने से पहले ये सही ग़लत वाली परिभाषा को मत थोपिये आप दोनों इक दूसरे के लिए इक समय तक सही थे ये बात आप दोनों accept करते थे अचानक से कोई इक हर वक्त ग़लत नहीं हो जाता
सो आप आगे बढ़िए पर उसके स्वाभिमान को बिना ठेस पहुँचाये क्यूकी शायद आपको नहीं पता वो इंसान ज़िंदगी में सिर्फ़ स्वाभिमान ही कमाया है वो भी ख़ुद से

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