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11 Sep 2024 · 1 min read

कलिपुरुष

न अच्छा पुत्र, न अच्छा पति।
लंपटराम बने जगपति।।

न अच्छा भाई, न अच्छा बाप।
झूठाराम बना अभिशाप।।

न अच्छा पशु, न अच्छा मनुज।
मायाराम बन गया दनुज।।

बात में लाख, जेब में ख़ाक।
दंभीराम हवा रहे फांक।।

ये कलयुगी आम, बिके सरेआम।
मिले न दाम जो बेंचे चाम।।

करें न काम, है फर्जी नाम।
दिन में है राम, शाम को जाम।।

अलग तरह के जीव ये, इनसे रहियो दूर।
“संजय ” परछाईं परे, सूखे सकल शरीर।।

Language: Hindi
1 Like · 121 Views
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