हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Purpose day
Santosh kumar Miri "kaviraj"
कांच के जैसे टूट जाते हैं रिश्ते,
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
"विकसित भारत" देखना हो, तो 2047 तक डटे रहो बस। काल के कपाल प
जिन्हें सिखाया तैरना, दरिया में हर बार
*अग्रसेन भागवत के महान गायक आचार्य विष्णु दास शास्त्री : एक युग , एक महापुरुष*
"मुश्किलों से मुकाबला कर रहा हूँ ll
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
मां का आंचल और पिता प्रेम
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
यादें तुम्हारी... याद है हमें ..
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
फ़सल
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम