Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2024 · 1 min read

ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी

ख़ामोशी फिर चीख़ पड़ी थी
चुप रहकर वो ख़ूब लड़ी थी

उम्र लगी थी उसको किसकी
नाम लिया तो पास खड़ी थी

मुझको जगाकर वो सोई थी
उसकी लाइट बंद पड़ी थी

दिन में दोनों मिल लेते थे
दिन छोटा था, रात बड़ी थी

रद जब उसकी ट्रेन हुई तो
जान में आकर जान पड़ी थी

पत्थर-पत्थर का रिश्ता था
पत्थर में तस्वीर जड़ी थी

हम भी ‘अरशद’ शेर बबर थे
ढेर हुए जब आँख लड़ी थी

144 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
Iamalpu9492
जमाने की राहें
जमाने की राहें
सोबन सिंह रावत
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
ये अच्छी बात है
ये अच्छी बात है
शिवम राव मणि
आपने जो खोया है उस पर पीछे मुड़कर देखने में अपना समय बर्बाद
आपने जो खोया है उस पर पीछे मुड़कर देखने में अपना समय बर्बाद
ललकार भारद्वाज
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जमाना तो डरता है, डराता है।
जमाना तो डरता है, डराता है।
Priya princess panwar
पिता
पिता
अनिल मिश्र
..
..
*प्रणय प्रभात*
जन्मदिन मुबारक
जन्मदिन मुबारक
Jyoti Roshni
बहुत बढ़िया लिखना है अब,
बहुत बढ़िया लिखना है अब,
goutam shaw
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Arvind trivedi
'चाँद गगन में
'चाँद गगन में
Godambari Negi
*समय बहुत बलवान सुनो यह, राजा को रंक बनाता है (राधेश्यामी छं
*समय बहुत बलवान सुनो यह, राजा को रंक बनाता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
विशाल शुक्ल
*कवि की शक्ति*
*कवि की शक्ति*
ABHA PANDEY
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
बुढ़ापा है जीवन की शान
बुढ़ापा है जीवन की शान
Bharti Das
बलिदानी गोविन्द सिंह की कहानी
बलिदानी गोविन्द सिंह की कहानी
Pratibha Pandey
रामचरितमानस
रामचरितमानस
Rambali Mishra
घर ताव से नहीं
घर ताव से नहीं
स्वयं प्रकाश पाण्डेय "स्वयं"
समय के हालात कुछ ऐसे हुए कि,
समय के हालात कुछ ऐसे हुए कि,
पूर्वार्थ देव
सज़ा
सज़ा
Shally Vij
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
एक सा
एक सा
Dr fauzia Naseem shad
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
हमें अपने स्रोत से तभी परिचित होते है जब हम पूर्ण जागते हैं,
Ravikesh Jha
बस! नामी रिश्ता दोस्ती का
बस! नामी रिश्ता दोस्ती का
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"तेरी यादों के छापे पड रहे हैं ll
पूर्वार्थ
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
manjula chauhan
Loading...