अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
*अमर बलिदानी वीर बैकुंठ शुक्ल*
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
प्यार..... करना, जताना और निभाना... तीनो अलग अलग बाते है.. प
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
मदिरा जब मतिभंग करे तो मदिरालय में जाते क्यों हो