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5 Sep 2024 · 1 min read

दुआ सलाम न हो पाए…

मैं अब चल पड़ा हूँ
फ़िलहाल कुछ पता नहीं
कहाँ सुबह, कहाँ शाम हो
सफ़र कहाँ तमाम हो

तुम सफ़र से पहले
अगर हो सके तो
बस एक जहमत करना
मुझे ख़ुशी से रुख़सत करना

आओ हम ये जरूर कर लें
शिकवे सभी दूर कर लें
हर एक बदगुमानी
सारी शिकायतें पुरानी

कल का क्या भरोसा?
मैं ख़ामोश होकर लौटा तो…
मुझसे शिकवा भी सुना न जाएगा
दुआ-सलाम तक न हो पाएगा

Language: Hindi
225 Views
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