पथरा गई हैं आँखें , दीदार के लिए यूं
वक्त के धारों के साथ बहना
कितना भी कह लूं, कहने को कुछ न कुछ रह ही जाता है
सच्चे देशभक्त आजादी के मतवाले
मैं देर करती नहीं……… देर हो जाती है।
ठहरे नहीं हैं, हयात-ए-सफ़र में ।
जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
*जुल्फों की छांव में सुला दिया*
"इश्क़े-ग़म" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गीत- अदाएँ लाख हैं तेरी...