मेरी खामोशियां मुहाफ़िज़ हैं
-कलयुग में सब मिलावटी है -
"बेचारी की फ़ितरत में, राग़ नहीं है ग़म वाला।
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पहला प्यार
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
तू अपने आप पे इतना गुरूर मत कर,
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
मुझसे मेरा ही पता पूछते हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जिसे छूने से ज्यादा... देखने में सुकून मिले
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
अब कष्ट हरो
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
वक्त नहीं बचा था व्यक्त करने व्यथा
अन्य रंग चमकें तभी, जब पट हो श्वेताभ।
बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।