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30 Aug 2024 · 1 min read

दौड़ी जाती जिंदगी,

दौड़ी जाती जिंदगी,
ओझल है ठहराव ।
गिनता रहता आदमी,
जीवन भर के घाव ।।
सुशील सरना / 30-8-24

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