Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2024 · 1 min read

धनुष वर्ण पिरामिड

धनुष वर्ण पिरामिड

जो
बल
प्रयोग
करता है
मानवता को
काट काट कर
लहू पिया करता

है समाज लायक
वह कभी नहीं
कुत्तों का वह
भोजन है
उसको
फेंको
तो।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

2 Likes · 118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मीठी मुस्कान
मीठी मुस्कान
Rambali Mishra
"वीर शिवाजी"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारे वास्ते हम ने गुलाल भेजा है
तुम्हारे वास्ते हम ने गुलाल भेजा है
Neeraj Naveed
..
..
*प्रणय प्रभात*
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
शिव प्रताप लोधी
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जाने कितने देवालय को,नालन्दा से विद्यालय को,
जाने कितने देवालय को,नालन्दा से विद्यालय को,
raijyoti47.
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
माँ तुझे मैं थामना चाहती हूँ
माँ तुझे मैं थामना चाहती हूँ
Chitra Bisht
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
*राजकली देवी: बड़ी बहू बड़े भाग्य*
Ravi Prakash
द्वंद
द्वंद
दीपक झा रुद्रा
डूबते जहाज में था तो
डूबते जहाज में था तो
VINOD CHAUHAN
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
Jyoti Roshni
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पंख
पंख
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
हिंदी दोहे विषय- मंगल
हिंदी दोहे विषय- मंगल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चाँद और अंतरिक्ष यात्री!
चाँद और अंतरिक्ष यात्री!
Pradeep Shoree
*कहां गए वो पुराने खेल*
*कहां गए वो पुराने खेल*
Dushyant Kumar
कुछ हमको भी जी लेने दो
कुछ हमको भी जी लेने दो
श्रीकृष्ण शुक्ल
गीत भी तुम साज़ भी तुम
गीत भी तुम साज़ भी तुम
सुशील भारती
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
सबसे पहले वो मेरे नाम से जलता क्यों है।
सबसे पहले वो मेरे नाम से जलता क्यों है।
Phool gufran
मेरे मसान की मिटटी तो, तन्हा छोड़ दी जाए,
मेरे मसान की मिटटी तो, तन्हा छोड़ दी जाए,
Manisha Manjari
दोहे
दोहे
Suryakant Dwivedi
जाति  धर्म  के नाम  पर, चुनने होगे  शूल ।
जाति धर्म के नाम पर, चुनने होगे शूल ।
sushil sarna
तुम्हारी मोहब्बत में
तुम्हारी मोहब्बत में
Surinder blackpen
4212💐 *पूर्णिका* 💐
4212💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
"सच के खिलाफ विद्रोह करते हैं ll
पूर्वार्थ
उदासियां बेवजह लिपटी रहती है मेरी तन्हाइयों से,
उदासियां बेवजह लिपटी रहती है मेरी तन्हाइयों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...