कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
बचपन में लिखते थे तो शब्द नहीं
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
And here we go. Another completion of the year.I came here t
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता