Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Aug 2024 · 1 min read

*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*

अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
【1】
सहृदय सद्भावों भरे , सदगुण के आगार
आदरणीय अशोक जी ,नमन करें स्वीकार
नमन करें स्वीकार ,राह शुभ चलते जाएँ
सत्य निष्ठ आचार , आपसे सब जन पाएँ
कहते रवि कविराय ,नहीं हो लालच या भय
सदा-सदा दें सीख ,आप जग को हे सहृदय
【2】
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
विश्नोई जी को नमन ,प्रतिभा से संपन्न
वृद्ध हुआ है तन मगर ,मन से युवा प्रसन्न
मन से युवा प्रसन्न ,समीक्षा करते पाते
लिखे हायकू काव्य ,छटा अद्भुत फैलाते
कहते रवि कविराय ,क्षेत्र कब छूटा कोई
अभिनय के सम्राट , धन्य श्री श्री विश्नोई
🌸🍁☘️🌸🍁☘️🌸🍁☘️
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Loading...