Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Aug 2024 · 1 min read

थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ

थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ अठै
इण अवनी माथै थूं इज हैं
जिणरौ सनेव निस्वारथ हैं
नितर आज-काल वगर मतळब
कोई ओळखांण ई नी राखतां हैं
थ्हारौ होवणौ ही म्हारी जिन्दगी री
सैसूं मोटी खुसी अर जीवण री आस हैं
बस मां! थ्हारी अे सनेव सूं भरियौड़ी
आंगळिया हरमेस म्हारे माथै राखजै
ओर मन्ने कीं नी चाहिजै
जलम जलम सूधी थूं ही चाहिजै
थ्हारे वगर जीवण री
कळ्पणा ही नी कर सकूं
थूं ही जिन्दगी जीवण रौ आधार हैं मां!

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

Loading...