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8 Aug 2024 · 1 min read

फ़ेसबुक पर पिता दिवस / मुसाफ़िर बैठा

कोरोना की तरह फैलकर
बीत गया पिता दिवस
साथ इसके
फ़ेसबुक पर पिताई रस्मी हुंआ हुंआ भी थम गया

शुक्र है कि इस वायरस का जीवन चक्र
तय था चौबीस घण्टे मात्र का
कोरोना की तरह बेमियादी नहीं रहना था इसका प्रकोप
वरना इस हुंआ हुंआ के शब्द–आतंक से
गहरे सहम सिकुड़ गया था मैं

पिता दिवस पर
जिस फेसबुकवासी ने अपने पिता को याद न किया
जिस पिता को उसकी संतानों ने
फ़ेसबुक पर न टांका
न आरती वंदन किया
समझो वह कोरोना काल की
इक्कीसवीं सदी के गिर्द जनमा मरा तो मगर
जनम उसका यह अकारथ गया
उसकी मरी अथवा साबुत आत्मा अतृप्त आकुल हो तड़प रही है!

Language: Hindi
121 Views
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