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8 Aug 2024 · 1 min read

"एक पैगाम देश की मिट्टी के नाम"

ओ मेरी प्यारी देश की मिट्टी,
तेरे चरणों में मेरा शीश झुका है,
तेरी गोद में पला और बढ़ा,
तुझसे ही मेरा जीवन सजा है।

तेरे कण-कण में बसी है,
मेरी पहचान की कहानी,
तेरे बिना अधूरी है ये धरती,
तेरे बिन सूनी हर वाणी।

तेरे खेतों की हरियाली
मेरे रग-रग में समाई है,
तेरे आंचल की छांव में
हर पीर हर पल भुलाई है।

तेरी मिट्टी में खेले बचपन,
तेरे आँगन में हमने सीखा,
तेरे बिन सूनी है दुनिया,
तेरे बिना हर जीवन रूखा।

तेरे पर्वत, तेरी नदियाँ,
हमारी रगों में बहती हैं,
तेरी सोंधी है महक जो
हमारी धड़कनों में बसती है।

तेरे हर कोने में बसी,
हमारी संस्कृति की गहराई,
तेरे बिन ये जीवन अधूरा,
तेरे बिना हर राह पराई।

तेरी धरती की समृद्धि,
हमारे दिलों में बसती है,
तेरी ममता की छाँव,
हर मुश्किल को हरती है।।

पुष्पराज फूलदास अनंत

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