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7 Aug 2024 · 1 min read

मन इच्छा का दास है,

मन इच्छा का दास है,
मन तृष्णा का तीर ।
मन राँझे की कल्पना,
मन में बसती हीर ।।
सुशील सरना / 7-8-24

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