Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2024 · 2 min read

#चिंतन-

#चिंतन-
■ हरियाली तीज : एक लुप्तप्रायः लोकपर्व
【प्रणय प्रभात】
आज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानि तीज है। जिसे हरीतिमा व समृद्धि के प्रतीक ”हरियाली तीज” के रूप में जाना जाता है। रंग-रंगीले राजस्थान की बहुरंगीय संस्कृति व इंद्रधनुषी परम्पराओं के गर्भ से उपजा एक लोकपर्व, जिसे सावन की फुहारों और बहारी बयारों का दुलार और भी मनभावन बनाता है।
धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन की सुहानी तीज एक पखवाड़े तक चलने वाले झूला (हिंडोला) उट्सव का श्रीगणेश है। जिसका समापन भाद्रपद माह की कजरिया तीज पर होता है। इस एक पक्ष में प्रभु श्री कृष्ण अपनी आदिशक्ति राधा रानी के साथ झूले का आनंद लेते थे। आज से अगले 15 दिवस तक भी लेंगे। देवालयों में काष्ठ-निर्मित व सवर्ण-रजत मंडित झूले आज से सज जाएंगे। कलात्मक झूलों में प्रिया जू के साथ विराजित वृंदावन-बिहारी श्रंगारित व अलंकृत छवि में भक्तों को पावन दर्शन देंगे।
इसी परिपाटी के अनुसार गांवों में वृक्ष की शाखाओं पर झूले डालने का विधान रहा है। अब लगभग लुप्त हो चुके यह दृश्य बीते कल में अत्यंत मनोरम होते थे। जब किशोरी बालिकाएं, युवतियां व महिलाएं सामूहिक रूप से सावन के गीत गाते हुए झूला झूलती थीं। मेघ-मल्हार के कर्णप्रिय समवेत स्वर चारों दिशाओं से अनुगुंजित होते थे। नव-वधुओं का उल्लास यौवन पर होता था। पारंपरिक परिधानों व अलंकारों से विभूषित नई-नवेली सुहागिनें अपने चेहरों की चमक से षोडस श्रंगार को मात देती प्रतीत होती थीं।
अब कहां गांव और कहां आम, कदम्ब व पीपल आदि के छतनार वृक्ष। कहां रस्सी के झूले व उन पर पींगें भरतीं नारियां। अब कहां मल्हार की मदमाती तानें व सुरीली धुनों से सजे सावन के गीत। सौभाग्य के प्रतीक लाख के चूड़े व लहरिया वाली साड़ी अवश्य प्रचलन में है। यह अलग बात है कि पार्लर वाली ब्यूटी उस दिव्य आभा से बहुत दूर है, जिसे “दमक” कहते थे। कुल मिला कर कथित विकास व आधुनिकता ने इस लोक-पर्व के तमाम रंगों व शील का हरण कर लिया है।
मातृशक्ति चाहे तो इस लोकोत्सव को एक बार फिर थोड़ा-बहुत गौरव और वैभव लौटा सकती हैं। धर्म-संस्कृति व कला के क्षेत्र में सक्रिय संगठन व संस्थाएं भी इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक प्रयास करें, तो यह लोकरंग नई पीढ़ी को सरसता के साथ हस्तांतरित किया जा सकता है। उस पीढ़ी को, जिसे दुनिया मुट्ठी में देने का दम्भ भरने वाली मोबाइल संस्कृति ने संकीर्णता की चारदीवारी में समेट दिया है। उस अघोषित क़ैद में, जहां खुशी का मतलब मौज-मस्ती व खुली छूट है। जहां उमंग व उल्लास नाम की कोई चीज़ बाक़ी नहीं। बहरहाल, सभी को इस पर्व की अनंत बधाई। जय राम जी की।।
●सम्पादक●
न्यूज़&व्यूज़

Language: Hindi
1 Like · 173 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

खोट
खोट
GOVIND UIKEY
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
" संगति "
Dr. Kishan tandon kranti
🙅fact🙅
🙅fact🙅
*प्रणय प्रभात*
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
सत्य कुमार प्रेमी
ख़तरनाक हैं थर्ड पार्टी व्हाट्सएप ऐप
ख़तरनाक हैं थर्ड पार्टी व्हाट्सएप ऐप
अरशद रसूल बदायूंनी
वक्त हो बुरा तो …
वक्त हो बुरा तो …
sushil sarna
हिंदी हमारी मातृभाषा --
हिंदी हमारी मातृभाषा --
Seema Garg
मुक्तक – शादी या बर्बादी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बेड़ियाँ
बेड़ियाँ
Shaily
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
प्यार और धोखा
प्यार और धोखा
Dr. Rajeev Jain
आग़ाज़
आग़ाज़
Shyam Sundar Subramanian
देखेगा
देखेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कथा कहानी
कथा कहानी
surenderpal vaidya
मेरी शायरी की छांव में
मेरी शायरी की छांव में
शेखर सिंह
महाकुंभ…आदि से अंत तक
महाकुंभ…आदि से अंत तक
Rekha Drolia
बाबा रामदेव जी
बाबा रामदेव जी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
वाणी और पानी दोनों में ही छवि नजर आती है; पानी स्वच्छ हो तो
वाणी और पानी दोनों में ही छवि नजर आती है; पानी स्वच्छ हो तो
Shubhkaran Prajapati
‌सोच हमारी अपनी होती हैं।
‌सोच हमारी अपनी होती हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
4448.*पूर्णिका*
4448.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
Ravikesh Jha
राम की धुन
राम की धुन
Ghanshyam Poddar
कभी बच्चों सी जिंदगी दोबारा जी कर देखो वही लॉलीपॉप खट्टे मीठ
कभी बच्चों सी जिंदगी दोबारा जी कर देखो वही लॉलीपॉप खट्टे मीठ
Rj Anand Prajapati
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर लफ्ज़ मे मोहब्बत
हर लफ्ज़ मे मोहब्बत
Surinder blackpen
तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं
तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं
आकाश महेशपुरी
धूम्रपान ना कर
धूम्रपान ना कर
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
Rj Anand Prajapati
Loading...