तुम्हारी सोच है कि जैसा चाहो वैसा मै ढल जाऊ।
आवश्यक मतदान है
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
खाटू वाले मेरे श्याम भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
"इश्क़े-ग़म" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सारंग-कुंडलियाँ की समीक्षा
*कुछ जीने के दिवस और मिल जाते अच्छा रहता (हिंदी गजल)*
//••• क़ैद में ज़िन्दगी •••//
- अकेला था अकेला ही रहना चाहता हु -
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
अल्फाज़
कल्पना सोनी "काव्यकल्पना"
मैं राग पुराना बिस्मिल का l
शाम का वक्त है घर जाना है
हमेशा की नींद सुला दी गयी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...