ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
इस जीवन का क्या मर्म हैं ।
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में जितना बदलाव हमा
- मोहब्बत का सफर बड़ा ही सुहाना -
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,