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5 Aug 2024 · 1 min read

श्रंगार

गर्म सलाखों सी पेवस्त हो रही तुम्हारी आंखें।
गर्म लावा सी बदन को धधका रही तुम्हारी सांसें।
पत्थर से मेरे दिल को मोम बना रहे तुम्हारे वादें।
मेरे वजूद को मुझ से ही जुदा कर रहे तुम्हारे इरादे।
विपिन

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