सेवा उन्नति द्वार
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
मोहब्बत ने तेरी मुझे है सँवारा
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
इंसान भी बड़ी अजीब चीज है।।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुझे हर वक्त बस तुम्हारी ही चाहत रहती है,
ग़ज़ल _ मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
विपक्षी दलों की आंखों में है खराबी ,
बस्ती है मुझमें, तेरी जान भी तो,
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग...
तेरी यादों के सहारे वक़्त गुजर जाता है
रिश्ता नहीं है तो जीने का मक़सद नहीं है।
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी