घर कही, नौकरी कही, अपने कही, सपने कही !
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
इंद्रियों की अभिलाषाओं का अंत और आत्मकेंद्रित का भाव ही इंसा
जहर मिटा लो दर्शन कर के नागेश्वर भगवान के।
कुछ गीत लिखें कविताई करें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रामू
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
मरने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपयश ही पाते
मोटापे की मार। हास्य व्यंग रचना। रचनाकार: अरविंद भारद्वाज
बड़ी शान से नीलगगन में, लहर लहर लहराता है
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
🙌🍀👫 When choosing a life partner
टूटते तारे से यही गुजारिश थी,