Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2024 · 1 min read

हमें कहता है अन्तर्मन हमारा

हमें कहता है अन्तर्मन हमारा
नहीं भूला वो आलिंगन हमारा

सुशोभित है गगन पर चंद्रमा सा
तुम्हारे हाथ में कंगन हमारा

नज़ीर नज़र

137 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

8xbet là một trong những nhà cái uy tín và nổi bật trong ngà
8xbet là một trong những nhà cái uy tín và nổi bật trong ngà
8xbet
अहोभाग्य
अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सफर
सफर
krupa Kadam
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
गगरी छलकी नैन की,
गगरी छलकी नैन की,
sushil sarna
मेहनत करके आगे आए हैं, रुकेंगे थोड़ी
मेहनत करके आगे आए हैं, रुकेंगे थोड़ी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कभी इस तरह भी
कभी इस तरह भी
Chitra Bisht
कुछ बातें हमें वक्त पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि  खुद  ही वह व
कुछ बातें हमें वक्त पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि खुद ही वह व
DR. RAKESH KUMAR KURRE
करो देश से प्यार
करो देश से प्यार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कौड़ी के भाव ले के दुआ
कौड़ी के भाव ले के दुआ
अरशद रसूल बदायूंनी
पं. टोटकेश्वर (टोने वाले) को इत्ती सी अक़्क़ल तो होनी चाहिए कि
पं. टोटकेश्वर (टोने वाले) को इत्ती सी अक़्क़ल तो होनी चाहिए कि
*प्रणय प्रभात*
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
सागौन बबूल भी तुम्ही रखना
sushil yadav
एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
Ajit Kumar "Karn"
दो जूते।
दो जूते।
Kumar Kalhans
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
3149.*पूर्णिका*
3149.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब तक़दीर बुलंद होती है , तो काग़ज़ों का कोई ज़ोर नहीं होता ,व
जब तक़दीर बुलंद होती है , तो काग़ज़ों का कोई ज़ोर नहीं होता ,व
Neelofar Khan
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
Manoj Mahato
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
शेखर सिंह
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
समय बदलने पर
समय बदलने पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बरस  पाँच  सौ  तक रखी,
बरस पाँच सौ तक रखी,
Neelam Sharma
भरोसे का बना रहना
भरोसे का बना रहना
surenderpal vaidya
लूट पाट कर  ले गए,  मेरा वे घर बार  ।
लूट पाट कर ले गए, मेरा वे घर बार ।
RAMESH SHARMA
तिश्नगी
तिश्नगी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
रिश्तों का बंधन
रिश्तों का बंधन
Sudhir srivastava
******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
Nilesh Premyogi
विज्ञापन
विज्ञापन
MEENU SHARMA
Loading...