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1 Aug 2024 · 1 min read

एकाकार

ब्रह्माण्ड तो मन में है
और मुठी खाली है
रोक ले इस पल को
जो शांति प्रदाता है !
आरम्भ शून्य से
समाप्ति शून्य में
मध्य में यदि चाहे
तो अनुभव से आगे निकल
हो जा कुछ पल एकाकार
ब्रह्मांड से !

शशि महाजन-लेखिका

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