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31 Jul 2024 · 1 min read

दीवारों के कान में

दीवारों के कानों में ये, क्या किसने कह दिया
दूर हो गये घर के अपने, बस मालिक रह गया

खोज रहा है घर दोबारा, दफन हुए जो सपने
आते जाते रहे मुसाफ़िर, कहने को थे अपने
टूटते घर को रहे बचाते, हर संँभव यत्न किया
दूर हो गये घर के अपने, बस मालिक रह गया।

चले डगर मंज़िल की ठानी, सब अनथक अविराम
चार आने की गुड़िया लेके, गुड्डे सजे तमाम
खेल सजा गुड्डे गुड़ियों का,जीवन बीत गया
दूर हो गये घर के अपने, बस मालिक रह गया।।

कभी न देखे शगुन अपशगुन,न तूफ़ानी बारिश
चाहे बिल्ली काटे रस्ता, या ग्रहों की साजिश
जब से तन को होम किया है, बस मन ही रह गया
दूर हो गये घर के अपने, बस मालिक रह गया।

सूर्यकान्त

Language: Hindi
140 Views
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