Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2024 · 1 min read

औरत हूं मैं✍️❣️

औरत हूं मैं!!……
इसलिए चार दीवारों के अंदर हूं,
सहूं तो अच्छी हूं,
बोलूं तो बदतमीज हूं,
लडू तो लड़ाकू,
झगड़ालू हूं मैं,
क्योंकि औरत हूं मै…….

औरत हूं मैं…
घूंघट में रहती मैं,
सिर झुकाऊं तो संस्कारी हूं,
किसी की तरफ देखूं तो बदचलन हूं मै,
बराबर में बैठूं तो का बेहया हूं मैं,
क्योंकि औरत हूं मै…..

औरत हूं मै…
पराए घर की हूं मैं,
ससुराल में रहूं तो तेरा घर नही,
मायके में रहूं तो तेरा घर नही,
कोई घर नहीं है इसलिए बेघर हूं मै, क्योंकि औरत हूं मै…..

औरत हूं मै…

पढ़ी-लिखी हूं तो ज्ञानी और समझदार हूं मै,
पढ़ी-लिखी नही हूं तो अनपढ़ हूं मै,
गुण है तो गुणी हूं मै,
गुण नही है तो गुणहीन हूं मै,
क्योंकि औरत हूं मै….

औरत हूं मै…
जन्म दूं तो सुखदात्री हूं मैं,
जन्म न दूं तो अभागिन हूं मैं,
हर बदलते समय कि परिभाषा हूं मै, क्योंकि औरत हूं मै…

औरत हूं मै…
सच कहा जमाने ने कि औरत हूं मैं,
हां औरत हूं मैं पर किसी से कम नहीं हूं,
बेटी बहन पत्नी मां हर रूप में ढल जाती हूं ,
बेटी, बहन, पत्नी, माँ किसी बात का हक़ न है,
हां औरत हूं मैं नव जीवन की आशा हूं मैं क्योंकि औरत हूं मै…..

~स्वरा कुमारी आर्या✍❣

3 Likes · 1 Comment · 173 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*बता दे आज मुझे सरकार*
*बता दे आज मुझे सरकार*
Dushyant Kumar
मधुमास
मधुमास
Kanchan verma
इतिहास कचरा है
इतिहास कचरा है
Shekhar Chandra Mitra
"मुश्किलें मंजिलों की सूचक हैं ll
पूर्वार्थ
*तेरी याद*
*तेरी याद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
किसी का चले जाना
किसी का चले जाना
हिमांशु Kulshrestha
अवशेष
अवशेष
Lokesh Dangi
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
सूप नखा का लंका पहुंचना
सूप नखा का लंका पहुंचना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
छींके में खीर (बाल कविता)
छींके में खीर (बाल कविता)
Ravi Prakash
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राम सीता लक्ष्मण का सपना
राम सीता लक्ष्मण का सपना
Shashi Mahajan
🙅पता चल गया?🙅
🙅पता चल गया?🙅
*प्रणय प्रभात*
कभी लगे  इस ओर है,
कभी लगे इस ओर है,
sushil sarna
बिछोह
बिछोह
Lalni Bhardwaj
हंसना रास न आया
हंसना रास न आया
Ashok deep
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
"झीरम घाटी"
Dr. Kishan tandon kranti
डूबते डूबते रह गया मैं तेरा हाथ थामकर
डूबते डूबते रह गया मैं तेरा हाथ थामकर
VINOD CHAUHAN
जीवन चक्र
जीवन चक्र
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
खजूर के वृक्ष का दुख
खजूर के वृक्ष का दुख
Laxmi Narayan Gupta
दहकता सूरज
दहकता सूरज
Shweta Soni
पारले-जी
पारले-जी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सत्य सनातन धर्म
सत्य सनातन धर्म
Raj kumar
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
Neelam Sharma
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुछ लोगो ने मुझको पढ्ना बन्द कर दिया।
कुछ लोगो ने मुझको पढ्ना बन्द कर दिया।
अश्विनी (विप्र)
एक बार पंडित अंकल है आए
एक बार पंडित अंकल है आए
Umender kumar
कविता
कविता
Sumangal Singh Sikarwar
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
Rj Anand Prajapati
Loading...