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28 Jul 2024 · 1 min read

दोहा सप्तक. . . . शिक्षा

दोहा सप्तक. . . . शिक्षा

नम्बर वन की रेस का, सबको चढ़ा बुखार ।
बिना लक्ष्य के दौड़ते, बच्चे कई हजार ।।

धन अर्जन का बन गई, शिक्षा अब बाजार ।
फँसे हुए इस जाल में, बच्चे कई हजार ।।

बच्चों पर अब बन गया, शिक्षा एक दबाव ।
खेलें वो अवसाद में, आत्मदाह का दाव ।।

धन अथाह सब लूटते, शिक्षण के संस्थान ।
बच्चों को मिलती नहीं, पर उनकी पहचान ।।

मुश्किल है अब नौकरी , मिलने के आसार ।
चन्द पदों पर हैं खड़े , बच्चे कई हजार ।।

धूम- धाम से चल रहा, शिक्षा का व्यापार ।
गठरी बाँधे आस की, बच्चे हैं लाचार ।।

द्रोण आज के शिष्य से, करते हैं व्यापार ।
कैसे होगा देश में, शिक्षा का उद्धार ।।

सुशील सरना / 28-7-24

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