Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2024 · 1 min read

ये हक़ीक़त है

ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
साथ खुशियों के ग़म का साया है।
हम पे एहसान ज़िंदगी न जता,
क़र्ज़ हर सांस का चुकाया है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
3 Likes · 180 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

"हर बाप ऐसा ही होता है" -कविता रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
ज़िंदगी गुलज़ार कर जाती हैं
ज़िंदगी गुलज़ार कर जाती हैं
Meenakshi Bhatnagar
क्या इंसान को इंसान की जरूरत नहीं रही?
क्या इंसान को इंसान की जरूरत नहीं रही?
Jyoti Roshni
हमें भौतिक सुख से परे सोचना चाहिए जो हम प्रतिदिन कर रहे उसे
हमें भौतिक सुख से परे सोचना चाहिए जो हम प्रतिदिन कर रहे उसे
Ravikesh Jha
3250.*पूर्णिका*
3250.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
कुमार अविनाश 'केसर'
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
sushil sarna
गैर तो गैर थे मगर तुम भी!
गैर तो गैर थे मगर तुम भी!
Mahesh Ojha
ले लो आप सब ज़िंदगी के खूब मजे,
ले लो आप सब ज़िंदगी के खूब मजे,
Ajit Kumar "Karn"
खुद के वजूद को।
खुद के वजूद को।
Taj Mohammad
सत्य सनातन गीत है गीता, गीता परम प्रकाश है
सत्य सनातन गीत है गीता, गीता परम प्रकाश है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अगर जो घमंड हो जरा भी,
अगर जो घमंड हो जरा भी,
श्याम सांवरा
राम चले वनवास
राम चले वनवास
कार्तिक नितिन शर्मा
कल मैं याद आऊँगा
कल मैं याद आऊँगा
gurudeenverma198
तुम क्रोध नहीं करते
तुम क्रोध नहीं करते
Arun Prasad
प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।
प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।
Sanjay ' शून्य'
मां दुर्गा देती खुशियां अपार,
मां दुर्गा देती खुशियां अपार,
Satyaveer vaishnav
ये जो मेरी आँखों में
ये जो मेरी आँखों में
हिमांशु Kulshrestha
कभी क्षितिज की ओर देखा है?
कभी क्षितिज की ओर देखा है?
पूर्वार्थ देव
ये दौलत भी लेलो ये सौहरत भी लेलो
ये दौलत भी लेलो ये सौहरत भी लेलो
Ranjeet kumar patre
"मौत को दावत"
Dr. Kishan tandon kranti
जितना अधिक आप अपने जीवन की प्रशंसा करते हैं और जश्न मनाते है
जितना अधिक आप अपने जीवन की प्रशंसा करते हैं और जश्न मनाते है
ललकार भारद्वाज
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्ही हो
तुम्ही हो
Buddha Prakash
शीर्षक -गुरू
शीर्षक -गुरू
Sushma Singh
ईसाई, मुसलमान और सत्य सनातन धर्म में मात्र यही एक अंतर है ये
ईसाई, मुसलमान और सत्य सनातन धर्म में मात्र यही एक अंतर है ये
Rj Anand Prajapati
अपना दु:ख कहना हो , तो भगवन् से कह देना।
अपना दु:ख कहना हो , तो भगवन् से कह देना।
Anamika Tiwari 'annpurna '
थैंक्यू जान
थैंक्यू जान
पूर्वार्थ
योग करें निरोग रहें
योग करें निरोग रहें
Shashi kala vyas
*ताना कंटक सा लगता है*
*ताना कंटक सा लगता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...