पानी से आग बुझाने की ....
देख लूं आज मैं भी 'अज़ीम आसमां को मुद्दतों से,
मजा मुस्कुराने का लेते वही,
मॉक ड्रिल क्या है? जैसे सेना युद्धाभ्यास करती हैं, मॉक ड्रिल
*आस टूट गयी और दिल बिखर गया*
हमको गैरों का जब सहारा है।
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
মহাদেবকে নিয়ে লেখা কবিতা
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD